14 Bridges Collapse in Bihar in Four Weeks: Public Infrastructure Crisis and Solutions; बिहार में चार सप्ताह में 14 पुल ढह गए: सार्वजनिक अवसंरचना की खराब स्थिति और समाधान

बिहार में चार सप्ताह के भीतर 14 पुलों का ढहना देश में सार्वजनिक अवसंरचना की खराब स्थिति को दर्शाता है। यह घटना न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में देश के अलग-अलग हिस्सों में सार्वजनिक अवसंरचना के ढहने के कारण कई लोगों की मौत हो गई। उदाहरण के लिए, दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर टर्मिनल-1 की छत ढहने की घटना ने भी सार्वजनिक अवसंरचना की दुर्दशा को उजागर किया है।

सार्वजनिक अवसंरचना की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार कारक:

1. कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगाने की L1 विधि:
इस पद्धति के तहत सबसे कम बोली लगाने वाले को परियोजना का टेंडर दिया जाता है। इसमें अवसंरचना की गुणवत्ता या विशेषज्ञता और अन्य मापदंडों की अनदेखी की जाती है। उदाहरण के लिए, गुजरात में मोरबी ब्रिज का टूटना इसी का परिणाम था।

2. प्रशासनिक लापरवाही:
इसमें घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग, डिजाइन संबंधी प्रोटोकॉल का पालन न करना, गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही बरतना और व्यापक भ्रष्टाचार के चलते ठीक से निगरानी न करना आदि शामिल हैं। यह लापरवाही न केवल निर्माण के दौरान बल्कि रखरखाव और निरीक्षण में भी देखी जाती है।

3. पर्याप्त वित्त-पोषण का अभाव:
क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष अवसंरचना में GDP के 7-8% निवेश की आवश्यकता होती है, जबकि वास्तविक निवेश केवल 4.6% प्रतिवर्ष ही होता है। यह कमी अवसंरचना की गुणवत्ता और उसकी दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित करती है।

4. खराब सेफ्टी ऑडिट:
कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि सेफ्टी ऑडिट के बाद सुरक्षित घोषित की गई अवसंरचना जल्द ही ध्वस्त हो गई। यह दर्शाता है कि सेफ्टी ऑडिट केवल औपचारिकता बनकर रह गई है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

5. अन्य कारक:

  • अवसंरचना की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता अंतर।
  • भौगोलिक कारक जैसे भारी वर्षा के कारण बाढ़ आना, जो पुलों और अन्य अवसंरचनाओं को कमजोर कर देता है।

इस संबंध में किए जा सकने वाले उपाय:

1. मानकीकरण:
भौतिक मात्रा एवं गुणवत्ता, दोनों स्तरों पर अवसंरचना की क्षमता एवं उपयोगिता के लिए मानकीकरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाना चाहिए।

2. गुणवत्ता सह लागत आधारित चयन (QCBS):
कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए गुणवत्ता सह लागत आधारित चयन (Quality cum Cost Based Selection: QCBS) को अनिवार्य रूप से अपनाना चाहिए। इससे परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी और अवसंरचना की दीर्घकालिक स्थिरता बढ़ेगी।

3. नियमित सेफ्टी ऑडिट:
स्वतंत्र ऑडिटर्स द्वारा नियमित तौर पर सेफ्टी ऑडिट कराए जाने चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि सेफ्टी ऑडिट केवल औपचारिकता न हो बल्कि इसमें गहन निरीक्षण और परीक्षण शामिल हो।

सार्वजनिक अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:

1. राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश कोष की स्थापना:
सरकार ने राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश कोष की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा देना है।

2. राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन:
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत 2020 से 2025 तक 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य देश की अवसंरचना को मजबूत और आधुनिक बनाना है।

3. इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL):
व्यवहार्य अवसंरचना परियोजनाओं को दीर्घकालिक वित्त-पोषण प्रदान करने के लिए भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी IIFCL की स्थापना की गई है।

4. वायबिलिटी गैप फंडिंग:
वायबिलिटी गैप फंडिंग प्रदान की जाती है, जैसे उड़ान योजना के लिए दी जाती है, जिससे अवसंरचना परियोजनाओं की व्यवहार्यता सुनिश्चित की जा सके।

5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी:
सार्वजनिक-निजी भागीदारी के नए मॉडल्स जैसे हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा।

निष्कर्ष:

बिहार में चार सप्ताह में 14 पुलों का ढहना सार्वजनिक अवसंरचना की खराब स्थिति और इसमें सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इन घटनाओं से सीख लेकर प्रशासनिक सुधार, गुणवत्ता नियंत्रण, और पर्याप्त वित्त-पोषण की व्यवस्था करनी होगी। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को और सुदृढ़ बनाना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और सार्वजनिक अवसंरचना की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।

FAQs:

सेफ्टी ऑडिट क्या होता है और इसकी क्या आवश्यकता है?

सेफ्टी ऑडिट एक प्रक्रिया है जिसमें किसी निर्माण या अवसंरचना की सुरक्षा की जांच की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण सुरक्षित है और इसमें कोई खामी नहीं है। नियमित सेफ्टी ऑडिट से अवसंरचना की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।

इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) का क्या कार्य है?

IIFCL का मुख्य कार्य व्यवहार्य अवसंरचना परियोजनाओं को दीर्घकालिक वित्त-पोषण प्रदान करना है, जिससे अवसंरचना परियोजनाओं की सफलता सुनिश्चित हो सके।

बिहार में अवसंरचना सुधार के लिए क्या प्राथमिकताएँ होनी चाहिए?

बिहार में अवसंरचना सुधार के लिए प्राथमिकताएँ निम्नलिखित होनी चाहिए:
1. गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी को मजबूत करना
2. पर्याप्त वित्त-पोषण की व्यवस्था करना
3. नियमित सेफ्टी ऑडिट करना
4. प्रशासनिक सुधार और भ्रष्टाचार को समाप्त करना
5. आधुनिक तकनीकों और मानकों को अपनाना

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?

केंद्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
1. राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश कोष की स्थापना
2. राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत 2020 से 2025 तक 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना
3. इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) की स्थापना
4. वायबिलिटी गैप फंडिंग प्रदान करना
5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी के नए मॉडल्स को बढ़ावा देना

बिहार में चार सप्ताह में 14 पुल ढह गए, क्या कारण हैं जो इन पुलों के ढहने का कारण बने?

मुख्य कारणों में शामिल हैं:
1. निर्माण के लिए सबसे कम बोली (L1) पद्धति का उपयोग
2. प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार
3. घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग
4. सेफ्टी ऑडिट में लापरवाही
5. पर्याप्त वित्त-पोषण का अभाव

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