UNICEF Child Nutrition Report 2024: Highlights on Global Child Food Poverty; यूनिसेफ की बाल पोषण रिपोर्ट 2024: वैश्विक स्तर पर बच्चों की गंभीर खाद्य गरीबी पर प्रकाश

यूनिसेफ ने हाल ही में अपनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट “बाल पोषण रिपोर्ट (Child Nutrition Report: CNR), 2024” जारी की है। इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर बच्चों में गंभीर ‘चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी (CFP)’ की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट बच्चों के पोषण और उनके स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी (CFP) क्या है?

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी उन स्थितियों को दर्शाती है जहां पांच साल की उम्र तक के बच्चों को पौष्टिक और विविध आहार की कमी होती है और उन्हें पोषण रहित आहार का सेवन करना पड़ता है। जो बच्चे आठ निर्धारित खाद्य समूहों में से अधिकतम दो का ही उपभोग कर पाते हैं, उन्हें “गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी” की स्थिति में माना जाता है। यह स्थिति बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  1. व्यापकता:
    यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर लगभग 27% बच्चे गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी का सामना कर रहे हैं। यह आंकड़ा विश्वभर में बच्चों के पोषण संबंधी स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
  2. भारत में स्थिति:
    भारत में स्थिति और भी चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 40% बच्चे गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति का सामना कर रहे हैं। दक्षिण एशिया में इस मामले में भारत अफगानिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर है। यह आंकड़े भारतीय बच्चों की पोषण संबंधी समस्याओं की गंभीरता को उजागर करते हैं।
  3. खराब आहार:
    रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की जगह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थ बच्चों के आहार में शामिल हो रहे हैं। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है।
  4. आय और चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी:
    गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति से गरीब और अमीर, दोनों प्रकार के परिवारों के बच्चे प्रभावित होते हैं। इसका मतलब है कि चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी के लिए केवल आय की स्थिति ही एकमात्र कारक नहीं है।
  5. उत्तरदायी कारण:
    इस समस्या के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जैसे बढ़ती असमानता, संघर्ष और जलवायु संकट, बढ़ती खाद्य कीमतें, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की अधिकता, खाद्य विपणन से जुड़ी हानिकारक रणनीतियां, और परिवार में बच्चों के लिए बेहतर आहार से जुड़ी जानकारी का अभाव।

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें:

यूनिसेफ की रिपोर्ट ने चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की समस्या को हल करने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं:

  1. डेटा जुटाने की प्रणाली को मजबूत करना:
    चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की गंभीरता का आकलन करने के लिए डेटा जुटाने वाली प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। इससे समस्या की सही पहचान और उसके समाधान के लिए बेहतर रणनीतियाँ बनाई जा सकेंगी।
  2. पौष्टिक खाद्य पदार्थों की सुलभता:
    छोटे बच्चों को खिलाने के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों को सुलभ, किफायती और स्वादिष्ट बनाने वाली खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे बच्चों को आवश्यक पोषण मिल सकेगा।
  3. पोषण संबंधी सेवाएं:
    बच्चों के लिए बेहतर आहार के बारे में परामर्श सहित पोषण संबंधी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने हेतु स्वास्थ्य प्रणालियों का लाभ उठाया जाना चाहिए। इससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हो सकेगा।

भारत द्वारा की गई पहलें:

भारत ने भी बच्चों के पोषण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

  1. सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0:
    यह पहल मातृ पोषण, शिशु और छोटे बच्चों के लिए आहार मानदंडों पर केंद्रित है। इसके तहत बच्चों और माताओं को पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  2. पीएम पोषण योजना:
    पूर्ववर्ती मिड-डे मील योजना में मिलेट्स या श्री अन्न को शामिल करने का निर्देश दिया गया है। इसका उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना और उनके स्वास्थ्य में सुधार लाना है।

निष्कर्ष:

यूनिसेफ की “बाल पोषण रिपोर्ट (CNR), 2024” गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की समस्या को उजागर करती है और इसे दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करती है। बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि वे स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकें। सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और समाज के सभी वर्गों को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा, ताकि बच्चों को आवश्यक पोषण मिल सके और वे स्वस्थ जीवन जी सकें।

FAQs:

यूनिसेफ की बाल पोषण रिपोर्ट 2024 क्या है?

यूनिसेफ की बाल पोषण रिपोर्ट 2024 एक विस्तृत अध्ययन है जो वैश्विक स्तर पर बच्चों में पोषण संबंधी समस्याओं और चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति को उजागर करती है। इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बच्चों के पोषण स्तर का विश्लेषण किया गया है और समस्याओं के समाधान के लिए सिफारिशें दी गई हैं।

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी (CFP) क्या है?

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी (CFP) पांच साल की उम्र तक के बच्चों में पौष्टिक और विविध आहार की कमी को दर्शाता है। जब बच्चे आठ निर्धारित खाद्य समूहों में से केवल दो का उपभोग कर पाते हैं, तो उन्हें गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति में माना जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति कैसी है?

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 40% बच्चे गंभीर चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इस मामले में भारत दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर है।

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी के मुख्य कारण क्या हैं?

चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी के मुख्य कारणों में बढ़ती असमानता, संघर्ष और जलवायु संकट, बढ़ती खाद्य कीमतें, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की अधिकता, और परिवार में बच्चों के लिए बेहतर आहार से जुड़ी जानकारी का अभाव शामिल हैं।

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कौन-कौन सी सिफारिशें दी गई हैं?

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कई सिफारिशें दी गई हैं, जैसे कि चाइल्ड फ़ूड पॉवर्टी की गंभीरता का आकलन करने के लिए डेटा जुटाने वाली प्रणाली को मजबूत करना, छोटे बच्चों के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों को सुलभ, किफायती और स्वादिष्ट बनाना, और बच्चों के लिए पोषण संबंधी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों का लाभ उठाना।

भारत ने बच्चों के पोषण में सुधार के लिए कौन-कौन सी पहलें की हैं?

भारत ने बच्चों के पोषण में सुधार के लिए कई पहलें की हैं, जिनमें सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0, और पीएम पोषण योजना शामिल हैं। इन पहलों का उद्देश्य बच्चों और माताओं को पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।

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