No Change in Repo Rate: Decision of RBI’s Monetary Policy Committee; रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं: RBI की मौद्रिक नीति समिति का निर्णय

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है। यह दर 6.5% पर बरकरार रखी गई है। यह निर्णय वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान MPC की छह बैठकों में से पहली बैठक में लिया गया है। वित्त-वर्ष 2024-25 में हर दो माह में एक बैठक आयोजित की जाएगी। रेपो रेट का स्थिर रहना आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे बैंकों की ब्याज दरों और उपभोक्ता ऋणों पर सीधा असर पड़ता है।

रेपो दर का महत्व:

रेपो दर वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को सरकारी और अन्य स्वीकृत प्रतिभूतियों के कोलेटरल की एवज में धन उधार देता है। यह दर आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका सीधा असर बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरों पर पड़ता है। रेपो दर में बदलाव से बैंकों की उधारी लागत में परिवर्तन होता है, जो अंततः ग्राहकों को मिलने वाले ऋण की ब्याज दरों को प्रभावित करता है। उच्च रेपो दर से ऋण महंगा हो जाता है, जबकि निम्न रेपो दर से ऋण सस्ता होता है।

RBI की अन्य घोषणाएं:

RBI द्वारा विकास और विनियामक नीतियों पर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की गई हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहायक होंगी:

  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (1999) के तहत निर्यात और आयात विनियमों को आसान बनाना: इसका उद्देश्य सभी हितधारकों के लिए ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है। यह कदम व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) की स्थापना: इसके तहत भुगतान में धोखाधड़ी को रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इस पहल के तहत, DPIP हेतु डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के विविध पहलुओं की जांच करने के लिए ए.पी. होता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाने और उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • UPI लाइट को e-मैंडेट फ्रेमवर्क से जोड़ने की घोषणा: अब UPI लाइट वॉलेट के लिए ऑटो-रिप्लेनिशमेंट की सुविधा प्राप्त होगी। इससे UPI लाइट में निर्धारित राशि से कम बैलेंस होने पर ई-मैंडेट के द्वारा स्वतः फंड आ जाएगा। यह सुविधा उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल भुगतान को और अधिक सुविधाजनक और निर्बाध बनाएगी।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) और लघु वित्त बैंकों के लिए बल्क डिपॉजिट की राशि में वृद्धि: अब “सिंगल रूपी टर्म डिपॉजिट” के रूप में बल्क डिपॉजिट की राशि को बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक कर दिया गया है। बल्क डिपॉजिट पर बैंक अलग-अलग ब्याज प्रदान करते हैं। लोकल एरिया बैंकों के लिए यह राशि 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक निर्धारित की गई है, जैसा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मामले में लागू है। यह कदम बैंकों की वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देगा और निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प प्रदान करेगा।

मौद्रिक नीति समिति (MPC) के बारे में:

मौद्रिक नीति समिति (MPC) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जिम्मेदार है। संशोधित RBI अधिनियम, 1934 के तहत केंद्र सरकार को छह सदस्यीय MPC का गठन करने का अधिकार है। इस समिति में RBI से तीन सदस्य और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तीन सदस्य शामिल होते हैं। MPC का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति संबंधी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत रेपो रेट निर्धारित करना है। MPC के प्रत्येक सदस्य के पास एक वोट होता है, और मतों की बराबरी की स्थिति में, RBI गवर्नर के पास निर्णायक मत देने का प्राधिकार होता है।

MPC की संरचना और कार्यप्रणाली:

MPC की संरचना में केंद्रीय बैंक के तीन सदस्य और सरकार द्वारा नियुक्त तीन बाहरी विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह समिति नियमित अंतराल पर बैठक करती है और मौद्रिक नीति के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करती है। MPC के निर्णय का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना है। समिति के सदस्य आर्थिक आंकड़ों, वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों का विश्लेषण करते हैं और उसके आधार पर रेपो रेट में बदलाव या स्थिरता का निर्णय लेते हैं।

निष्कर्ष:

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखने का निर्णय आर्थिक स्थिरता और विकास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके साथ ही, विभिन्न विनियामक नीतियों और डिजिटल पेमेंट सुधारों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह निर्णय और घोषणाएं देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इनसे आम जनता को भी लाभ होगा। MPC के निर्णय और RBI की अन्य घोषणाएं भारतीय वित्तीय प्रणाली को स्थिर और सुदृढ़ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

FAQs:

रेपो रेट क्या होता है?

रेपो रेट वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को सरकारी और अन्य स्वीकृत प्रतिभूतियों के कोलेटरल की एवज में धन उधार देता है।

MPC का मुख्य उद्देश्य क्या है?

MPC का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति संबंधी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत रेपो रेट निर्धारित करना है। यह समिति मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए नीतिगत दरें निर्धारित करती है।

MPC में कितने सदस्य होते हैं और उनकी संरचना क्या है?

MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 सदस्य RBI से होते हैं और 3 सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। प्रत्येक सदस्य के पास एक वोट होता है, और मतों की बराबरी की स्थिति में RBI गवर्नर के पास निर्णायक मत देने का प्राधिकार होता है।

RBI ने हाल ही में कौन-कौन सी नई घोषणाएं की हैं?

RBI ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनमें विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्यात और आयात विनियमों को आसान बनाना, डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) की स्थापना, और UPI लाइट को e-मैंडेट फ्रेमवर्क से जोड़ने की घोषणा शामिल हैं।

बल्क डिपॉजिट की राशि में वृद्धि का उद्देश्य क्या है?

बल्क डिपॉजिट की राशि में वृद्धि का उद्देश्य बैंकों की वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना और निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प प्रदान करना है। अब “सिंगल रूपी टर्म डिपॉजिट” के रूप में बल्क डिपॉजिट की राशि को बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक कर दिया गया है।

UPI लाइट को e-मैंडेट फ्रेमवर्क से जोड़ने से क्या लाभ होगा?

UPI लाइट को e-मैंडेट फ्रेमवर्क से जोड़ने से UPI लाइट वॉलेट के लिए ऑटो-रिप्लेनिशमेंट की सुविधा प्राप्त होगी। इससे UPI लाइट में निर्धारित राशि से कम बैलेंस होने पर ई-मैंडेट के द्वारा स्वतः फंड आ जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल भुगतान को और अधिक सुविधाजनक और निर्बाध बनाया जा सकेगा।

डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) का उद्देश्य क्या है?

डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) का उद्देश्य डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी को रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना है। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाने और उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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