The Abrogation of Article 370 and 35A: A Five-Year Review; अनुच्छेद 370 और 35A का निरसन: पाँच वर्षों का आकलन:

जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A का निरसन किया। इसे ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019’ के माध्यम से लागू किया गया था। इस कदम ने भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर पर लागू किया, जिससे यह राज्य भारत के अन्य राज्यों के समान हो गया। पांच वर्षों के बाद, इस कदम के प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।

अनुच्छेद 370 और 35A का इतिहास:

अनुच्छेद 370: इस अनुच्छेद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। इसके तहत, संसद को केवल रक्षा, विदेश मामलों और संचार से संबंधित कानून बनाने का अधिकार था। अन्य विषयों पर कानून बनाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी होती थी। इसने राज्य को अपना संविधान, ध्वज, और रणबीर दंड संहिता रखने की अनुमति दी।

यह विलय पत्र (Instrument of Accession) की शर्तों पर आधारित था, जिस पर वर्ष 1947 में पाकिस्तान के आक्रमण के बाद भारत में शामिल होने के लिये जम्मू-कश्मीर के शासक हरि सिंह ने हस्ताक्षर किये थे। 

अनुच्छेद 35A: यह अनुच्छेद 370 का हिस्सा था और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को निर्धारित करने का अधिकार देता था।

अनुच्छेद 370 क्यों हटाया गया?

एकीकरण और विकास: अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर का भारतीय संघ में पूर्ण एकीकरण नहीं हो पा रहा था, जिससे विकास में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इसके हटने से संसाधनों, अवसंरचना और अवसरों तक बेहतर पहुँच संभव हुई।

राष्ट्रीय सुरक्षा: पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद को समर्थन देने के लिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग किया जा रहा था। इसे निरस्त करने से भारत सरकार को इस क्षेत्र पर अधिक नियंत्रण मिला और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ किया गया।

भेदभाव का अंत: अनुच्छेद 370 के कारण महिलाओं, दलितों और अन्य हाशिये पर स्थित समूहों के साथ भेदभाव होता था। इसके निरसन से ये समूह भारतीय कानूनों के दायरे में आ गए और उन्हें समान अधिकार मिले।

पारदर्शिता और जवाबदेही: अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में पारदर्शिता की कमी थी। इसके हटने से राज्य केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे में आ गया, जिससे बेहतर प्रशासन एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी। 

आर्थिक समृद्धि: अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में निवेश, पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आई है।

सरकार ने अनुच्छेद 370 को किस प्रकार निरस्त किया?

  1. राष्ट्रपति का आदेश: वर्ष 2019 के राष्ट्रपति के आदेश में संसद ने एक प्रावधान पेश करते हुए ‘जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा’ को ‘जम्मू और कश्मीर की विधानसभा’ के रूप में नया अर्थ प्रदान किया और फिर अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए राष्ट्रपति शासन के माध्यम से विधानसभा की शक्तियों को ग्रहण कर लिया।
  2. संसद में संकल्प: संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा द्वारा क्रमशः 5 और 6 अगस्त 2019 को समवर्ती संकल्प पारित किए गए। इन संकल्पों ने अनुच्छेद 370 के शेष प्रावधानों को भी रद्द कर दिया और उन्हें नए प्रावधानों से प्रतिस्थापित किया।
  3. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को पारित किया गया। इस अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- ‘जम्मू और कश्मीर’ तथा ‘लद्दाख’ में विभाजित कर दिया।

अनुच्छेदों के निरसन का प्रभाव:

इन अनुच्छेदों के निरसन के बाद जम्मू-कश्मीर में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए:

आतंकवाद और हिंसा में कमी: घुसपैठ की घटनाएं और आतंकवादी हमले कम हो गए हैं। 2018 में 143 घुसपैठ की घटनाएं थीं, जो 2022 में घटकर 14 रह गईं। इसी तरह, आतंकवादी घटनाएं 228 से घटकर 125 हो गईं। सुरक्षा कर्मियों की हत्याएं 2018 में 91 से घटकर 2022 में 32 हो गईं।

भूमि अधिकारों में सुधार: केंद्र सरकार ने नए भूमि कानून अधिसूचित किए, जिससे भूमि का समान वितरण संभव हुआ।

स्थानीय सरकार को सशक्तिकरण: संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के लागू होने से स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा मिला, जिससे प्रशासन में सुधार हुआ। पहले चुनाव में प्रखंड विकास परिषद में रिकॉर्ड 98.3% मतदान हुआ।

अलग प्रतीक और कानून का अंत: जम्मू-कश्मीर का अलग ध्वज, संविधान, और रणबीर दंड संहिता समाप्त कर दी गई।

आर्थिक विकास में तेजी: प्रधानमंत्री विकास पैकेज और औद्योगिक विकास योजना जैसी पहलों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े। कर राजस्व में 31% की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2022-23 के दौरान जम्मू-कश्मीर की GSDP स्थिर कीमतों पर 8% की दर से बढ़ी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 7% रही। 

उन्नत अवसंरचना: सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अवसंरचना क्षेत्र के विकास में भी भारी निवेश किया है। इसमें नई सड़कों, पुलों, सुरंगों और बिजली लाइनों के निर्माण जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं। इन सुधारों ने लोगों के लिये क्षेत्र में यात्रा करना और व्यापार करना आसान बना दिया है। 

पर्यटन में वृद्धि: सुरक्षा में सुधार और नई पर्यटन पहलों के कारण जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2022 में 1.62 करोड़ पर्यटक आए, जो भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों में सर्वाधिक है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?

11 दिसंबर 2023 को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्तीकरण पर अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। इस निर्णय के माध्यम से न्यायालय ने भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की पुष्टि की, जिसे प्रत्येक भारतीय अपने मन में संजोकर रखता है। सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय – जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जा को समाप्त कर दिया – संवैधानिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए लिया गया था न कि विघटन के लिए। न्यायालय ने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि अनुच्छेद 370 अपनी प्रकृति में ‘अस्थायी’ (temporary) था।

निष्कर्ष:

अनुच्छेद 370 और 35A के निरसन के पांच साल बाद, जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की दिशा में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे जा सकते हैं। सुरक्षा में सुधार, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बढ़ती भागीदारी, और आर्थिक विकास के अवसरों ने क्षेत्र को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए सरकार को निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। इस बदलाव ने क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नए द्वार खोले हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर के लोग अधिक सुरक्षित और समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

FAQs:

अनुच्छेद 370 और 35A क्या थे, और उनका क्या महत्व था?

अनुच्छेद 370 और 35A जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। अनुच्छेद 370 के तहत, संसद को केवल रक्षा, विदेश मामलों और संचार से संबंधित कानून बनाने का अधिकार था। अन्य विषयों पर कानून बनाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी होती थी।
अनुच्छेद 35A: यह अनुच्छेद 370 का हिस्सा था और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को निर्धारित करने का अधिकार देता था।

अनुच्छेद 370 को क्यों हटाया गया?

अनुच्छेद 370 को हटाने के पीछे मुख्य कारण जम्मू-कश्मीर का भारतीय संघ में पूर्ण एकीकरण सुनिश्चित करना था। इसके अलावा, इससे राज्य में विकास के अवसर बढ़े, भेदभाव समाप्त हुआ, और आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया गया।

अनुच्छेद 370 और 35A के हटने के बाद क्या प्रभाव पड़े हैं?

इन अनुच्छेदों के निरसन के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा में कमी आई है, आर्थिक विकास में तेजी आई है, और स्थानीय सरकार को सशक्तिकरण मिला है। इसके अलावा, भूमि कानूनों में सुधार और पर्यटन में वृद्धि हुई है।

क्या जम्मू-कश्मीर में आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है?

हाँ, अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कर राजस्व में 31% की वृद्धि हुई है और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार देखा गया है। वर्ष 2022-23 के दौरान जम्मू-कश्मीर की GSDP स्थिर कीमतों पर 8% की दर से बढ़ी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 7% रही। 

क्या अनुच्छेद 370 का निरसन कानूनी रूप से सही था?

हाँ, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के निरसन को कानूनी रूप से सही ठहराया है। अदालत ने इसे भारत की संप्रभुता और अखंडता को सुदृढ़ करने वाला कदम माना है।

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