भारत सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति (NFP) के कार्यान्वयन की रिपोर्ट इसके पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्धों को मजबूत करने में भारत की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराती है। लोकसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण नीतिगत पहल के तहत उठाए गए विभिन्न कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। यह लेख ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के दायरे, इसके क्रियान्वयन में प्राप्त उपलब्धियों और विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों का गहन विश्लेषण करेगा।
‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति की पृष्ठभूमि
अपने तत्काल आस-पास से संबंधों को प्राथमिकता देना भारत की विदेश नीति की विशेषता रही है। स्वतंत्रता के बाद के दशकों में, भारत ने शीत युद्ध की गुटबाजी से अलग रहते हुए पड़ोसी देशों और दुनिया के अन्य देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने का प्रयास किया। वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के साथ, भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए ‘लुक ईस्ट’ नीति अपनाई। गुजराल सिद्धांत ने पड़ोसी देशों के साथ एकतरफा रियायतें देने की अनूठी नीति की नींव रखी। वर्तमान भारतीय नेतृत्व ने भी न केवल इन सिद्धांतों के निरंतरता के तत्वों को बनाए रखा है, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार अपनी विदेश नीति को अधिक गतिशील बनाते हुए ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ को विशेष प्रोत्साहन दिया है।
मुख्य उद्देश्य:
- सीमा पार कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास को मजबूत करने के द्वारा साझा समृद्धि लाना।
- सुरक्षा को सुदृढ़ करना और आतंकवाद का मुकाबला करना।
- विकास के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के जरिए क्षमता निर्माण।
- लोगों से लोगों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान का विस्तार।
5-S सिद्धांत
‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति 5-S सिद्धांतों द्वारा परिभाषित है। भारत अपने निकटवर्ती देशों के साथ संपर्क साधने में निम्नांकित पर अधिक ध्यान देता है:
- सम्मान: भारत के पड़ोसियों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अत्यधिक सम्मान।
- संवाद: विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और क्षेत्रीय मुद्दों पर नियमित विचार-विमर्श का तरीका।
- शांति: सीमा विवादों के प्रबंधन पर जोर और सहयोग को बढ़ावा देना।
- समृद्धि: सभी देशों के लाभ के लिए क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और व्यापार संपर्कों को बढ़ावा देना।
- संस्कृति: ऐतिहासिक संबंधों और लोगों के बीच बंधन के द्वारा पारस्परिक समझ को बढ़ाना।
NFP की आवश्यकता और महत्त्व
- भारत के लिए:
- क्षेत्रीय स्थिरता: शांतिपूर्ण पड़ोस भारत की अपनी आंतरिक स्थिरता एवं सीमाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। NFP आतंकवाद एवं भारत-विरोधी तत्वों से निपटने में रणनीतिक महत्व रखती है।
- इकोनॉमिक एंगेजमेंट: एक विशाल बाजार, कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स, और निवेश पड़ोसी देशों के साथ सहयोग भारत के स्वयं के आर्थिक हितों के लिए फायदेमंद है।
- चीन का जवाब: रणनीतिक रूप से, दक्षिण एशिया में बढ़ते चीनी प्रभाव के जवाब में NFP भारत को इस क्षेत्र में अपरिहार्य शक्ति बनाए रखती है।
- सॉफ्ट पावर बढ़ाना: पड़ोसियों के साथ मददगार सहयोग और विकास सहायता के माध्यम से ‘विश्वगुरु’ बनने की भारत की आकांक्षा में बढ़त।
- क्षेत्रीय लाभ:
- विकास और उन्नति: भारत एक विकसित और स्थिर पड़ोसी के रूप में अपने संसाधनों को साझा करने का वादा करता है, जिससे छोटे पड़ोसी भी लाभान्वित हो सकते हैं।
- समस्याओं का सामूहिक समाधान: सीमा विवाद जैसी पुरानी समस्याओं का पारस्परिक वार्ता के आधार पर हल निकालना NFP के एजेंडे में है।
- बहुपक्षीय संगठनों को मजबूती: सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे संगठन क्षेत्रीय आवाज बनने को मजबूत कर सकते हैं।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें:
- विदेश मंत्रालय को NFP पर अलग-अलग मंत्रालयों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक सेल स्थापित करना चाहिए। यह सेल नीति के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा और नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में तेजी लाएगा।
- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय/क्षेत्रीय संबंधों के फ्रेमवर्क की आवधिक समीक्षा की जानी चाहिए। यह समीक्षा नीति की प्रगति का आकलन करने और आवश्यक परिवर्तनों को लागू करने में मदद करेगा।
- संयुक्त परियोजना निगरानी समितियों और निरीक्षण तंत्र को मजबूत करना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजनाएं समय पर और बजट के भीतर पूरी हों और उनका वांछित प्रभाव हो।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ समन्वय में सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवासन के कारण होने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की निगरानी करनी चाहिए। साथ ही, आतंकवादियों की घुसपैठ पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी, विकास और सुरक्षा में सुधार के लिए NFP एवं एक्ट ईस्ट नीति के बीच तालमेल स्थापित किया जाना चाहिए। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद करेगा।
निष्कर्ष:
‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण नीति है। यह भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को लागू करने से नीति की प्रभावशीलता और प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
Also Read
UPSC CSE NOTIFICATION 2024 RELEASED: GET THE DETAILS; UPSC CSE अधिसूचना 2024 जारी: विवरण प्राप्त करें