First Nuclear Power Station Using Thorium Fuel to be Built in China by 2025; थोरियम ईंधन से चलने वाला पहला न्यूक्लियर पावर स्टेशन चीन में 2025 तक:

चीन 2025 में गोबी मरुस्थल में विश्व का पहला ‘थोरियम मोल्टन साल्ट न्यूक्लियर पावर स्टेशन’ स्थापित करने की योजना बना रहा है। इस परमाणु ऊर्जा स्टेशन में पारंपरिक यूरेनियम ईंधन के बजाय थोरियम का उपयोग किया जाएगा। थोरियम आधारित न्यूक्लियर रिएक्टर अधिक सुरक्षित और कुशल होते हैं और पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होते हैं।

थोरियम मोल्टन साल्ट न्यूक्लियर पावर स्टेशन की विशेषताएं:

थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर (TMSR) में ईंधन के रूप में थोरियम का उपयोग किया जाएगा, जो यूरेनियम की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। पारंपरिक जल-शीतलक रिएक्टरों के विपरीत, TMSR में जल का उपयोग शीतलक के रूप में नहीं किया जाता। इसके बजाय, यह ऊष्मा को स्थानांतरित करने और विद्युत उत्पादन के लिए तरल नमक या कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करता है।

इस डिजाइन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह ओवरहीटिंग के कारण रिएक्टर कोर के पिघलने की संभावना को काफी कम कर देता है। थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर में उपयोग किए जाने वाले शीतलक और निर्माण सामग्री अत्यधिक तापमान को सहन कर सकते हैं, जिससे परमाणु दुर्घटनाओं का खतरा भी कम हो जाता है।

थोरियम की भौतिक विशेषताएं और महत्व:

थोरियम एक रेडियोधर्मी तत्व है, जो प्राकृतिक रूप से मिट्टी, चट्टानों, जल, पौधों और जानवरों में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। थोरियम की विशेष भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के कारण इसे परमाणु ऊर्जा उत्पादन में उपयोग किया जाता है। थोरियम का उपयोग सीधे परमाणु ऊर्जा उत्पादन में नहीं किया जा सकता, इसे पहले परमाणु रिएक्टर में U-233 में बदलना पड़ता है।

थोरियम आधारित रिएक्टरों का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि विश्व में थोरियम की प्रचुर मात्रा उपलब्ध है। भारत में, केरल और ओडिशा में मोनाज़ाइट के समृद्ध भंडार हैं, जिनमें लगभग 8-10% थोरियम होता है। मोनाज़ाइट आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी पाया जाता है।

थोरियम आधारित रिएक्टरों के लाभ:

थोरियम का उपयोग रासायनिक रूप से इसकी निम्नलिखित विशेषताओं के कारण सुरक्षित है:

  1. उच्च गलनांक बिंदु
  2. बेहतर तापीय चालकता
  3. बेहतर ईंधन प्रदर्शन विशेषताएं
  4. रासायनिक रूप से अक्रिय और स्थिरता

यह पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और कम विषाक्त होता है। साथ ही, थोरियम आधारित रिएक्टर अल्पकालिक रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं, जो पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होता है।

भारत में थोरियम की भूमिका:

भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण में थोरियम का उपयोग करके बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण में दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PWHRs) में प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग शामिल है। दूसरे चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBRs) में प्लूटोनियम का उपयोग शामिल है। भारत ने मोनाज़ाइट से थोरियम उत्पादन की प्रक्रिया अच्छी तरह से स्थापित कर ली है।

उन्नत भारी जल रिएक्टर, जो वर्तमान में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में विकास के चरण में है, थोरियम ईंधन चक्र के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में कार्य करेगा। थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा उत्पादन का उपयोग करने से भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा और साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

निष्कर्ष:

थोरियम मोल्टन साल्ट न्यूक्लियर पावर स्टेशन की स्थापना चीन की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जो भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित, पर्यावरणीय रूप से स्थायी और कुशल तरीके से पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। थोरियम आधारित रिएक्टर न केवल पारंपरिक यूरेनियम रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं, बल्कि ये अधिक कुशल और पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होते हैं। चीन का यह कदम भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

भारत और अन्य देशों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है कि वे थोरियम आधारित ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में शोध और विकास को बढ़ावा दें, ताकि वैश्विक ऊर्जा संकट का समाधान ढूंढा जा सके और एक स्थायी भविष्य की ओर कदम बढ़ाया जा सके।

FAQs:

चीन थोरियम मोल्टन साल्ट न्यूक्लियर पावर स्टेशन क्यों स्थापित करना चाहता है?

चीन इस परियोजना के माध्यम से अपनी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पूरा करना चाहता है। थोरियम आधारित रिएक्टर पारंपरिक यूरेनियम रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित और कम हानिकारक होते हैं।

थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर पारंपरिक रिएक्टरों से कैसे अलग है?

थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर में ईंधन के रूप में थोरियम का उपयोग किया जाता है, जबकि पारंपरिक रिएक्टरों में यूरेनियम का उपयोग होता है। इसके अलावा, TMSR में शीतलक के रूप में पानी के बजाय तरल नमक या कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग होता है, जो इसे अधिक सुरक्षित बनाता है।

थोरियम की क्या विशेषताएं हैं जो इसे परमाणु ऊर्जा के लिए उपयुक्त बनाती हैं?

थोरियम एक रेडियोधर्मी तत्व है जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसकी उच्च गलनांक बिंदु, बेहतर तापीय चालकता और रासायनिक स्थिरता इसे परमाणु ईंधन के रूप में आदर्श बनाती है।

थोरियम आधारित रिएक्टरों के क्या फायदे हैं?

थोरियम आधारित रिएक्टर अधिक सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। यह पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और कम विषाक्त होता है। ये कम रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं और परमाणु दुर्घटनाओं का खतरा भी कम होता है।

क्या थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा पूरी तरह से सुरक्षित है?

हालांकि थोरियम आधारित रिएक्टर पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं, लेकिन परमाणु ऊर्जा से जुड़े कुछ जोखिम हमेशा रहेंगे। हालांकि, उन्नत तकनीक और सुरक्षा उपायों के साथ इन जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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