On the Path to Bridging Gender Inequality in India: An Analysis of the 38.6% Increase in Gender Budget in the 2024-25 Budget; भारत की लैंगिक असमानता को पाटने की राह पर: 2024-25 के बजट में 38.6% की लैंगिक बजट वृद्धि का विश्लेषण:

लैंगिक असमानता भारत की विकास गाथा में एक प्रमुख बाधा रही है। इसे दूर करने के लिए, सरकार ने लैंगिक बजटिंग को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में अपनाया है। हाल ही में जारी केंद्रीय अंतरिम बजट 2024-25 में लैंगिक बजट आवंटन में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि 38.6% दर्ज की गई, जो एक सकारात्मक बदलाव है। आइए इस वृद्धि के मायने और लैंगिक असमानता को कम करने के रास्ते पर इसके संभावित प्रभाव का गहराई से विश्लेषण करें।

बढ़ती जागरूकता: लैंगिक बजटिंग का महत्व समझना

भारत में लैंगिक बजटिंग की शुरुआत 2005-06 में हुई थी। यह अलग-अलग लिंगों की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए बजटीय आवंटन को लक्षित करने का एक अभिनव तरीका है। यह महिलाओं के लिए अलग बजट बनाने का संकेत नहीं देता, बल्कि यह पूरे सरकारी खर्च में उनकी जरूरतों को शामिल करने का एक रणनीतिक प्रयास है। सरल शब्दों में कहें तो, यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक संसाधन लिंग के आधार पर समता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

लैंगिक बजटिंग में दो भाग होते हैं:

  • भाग A: इसमें ऐसे कार्यक्रम शामिल हैं जो पूरी तरह से महिलाओं के लिए हैं।
  • भाग B: इसमें वे सभी कार्यक्रम शामिल हैं जिनमें कम से कम 30% बजटीय आवंटन महिलाओं के लिए होता है।

लैंगिक बजटिंग मिशन शक्ति की उप-योजना ‘सामर्थ्य‘ के अंतर्गत आता है। मिशन शक्ति महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) की एक पहल है। मिशन शक्ति की अन्य उप-योजना ‘संबल’ है जो महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देती है।

लैंगिक बजटिंग के लिए नोडल एजेंसी केंद्र स्तर पर MWCD है। इसी तरह राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का संबंधित विभाग राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और जिला स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।

इसके कार्यान्वयन के लिए वित्त मंत्रालय ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों को लैंगिक बजट सेल स्थापित करने का निर्देश जारी किया हुआ है।

क्या बदल रहा है?

2023-24 के बजट में लैंगिक बजट 5% था, जिसे बढ़ाकर 2024-25 में 6.5% कर दिया गया है। यह उल्लेखनीय वृद्धि सरकार की महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने की स्पष्ट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य: इस बजट में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किया गया है, जैसे प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना। इससे गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार होने की उम्मीद है।
  • शिक्षा: बालिका शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं को मजबूत बनाकर सभी लड़कियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: महिला उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं में बजट बढ़ाने से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
  • सामाजिक सुरक्षा: विधवा पेंशन योजनाओं और घरेलू हिंसा पीड़ितों के लिए सहायता के लिए आवंटन में वृद्धि करके कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है।

चुनौतियाँ:

हालांकि लैंगिक बजट आवंटन में वृद्धि एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। कुछ चुनौतियों पर ध्यान देना जरूरी है:

  • क्षमता निर्माण: राज्य और जिला स्तर पर लैंगिक बजटिंग लागू करने के लिए कौशल और विशेषज्ञता का अभाव हो सकता है। जिसे दूर करने के प्रयास करने होंगे।
  • डेटा संकलन: लैंगिक बजटिंग के प्रभाव को मापने के लिए लिंग आधारित डेटा की कमी एक बाधा है।
  • मनोदशा में बदलाव: लैंगिक समानता को सचमुच मानने के लिए जमीनी स्तर पर सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।
  • अलग-अलग हितधारकों के बीच समन्वय की कमी
  • लिंग आधारित विश्लेषण का अभाव

आगे बढ़ने का रास्ता:

लैंगिक बजटिंग को अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • मजबूत जवाबदेही तंत्र: लैंगिक बजट आवंटन का उपयोग कैसे किया जाता है, इसकी निगरानी और मूल्यांकन के लिए मजबूत प्रणालियां स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
  • समुदाय भागीदारी: महिलाओं और समुदाय संगठनों को बजट निर्माण और निगरानी प्रक्रियाओं में शामिल करना सार्थक परिणाम सुनिश्चित करेगा।
  • अंतर-क्षेत्रीय समन्वय: सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय यह सुनिश्चित करेगा कि लैंगिक बजट विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों में एकीकृत हो।
  • नवाचार और प्रौद्योगिकी: बजट आवंटन का अधिक कुशल उपयोग करने और लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

केंद्रीय अंतरिम बजट 2024-25 में लैंगिक बजट आवंटन में 38.6% की वृद्धि एक सकारात्मक कदम है जो भारत को लैंगिक समानता हासिल करने के करीब ला सकता है। लेकिन यह रास्ता चुनौतियों से भरा है। प्रभावी कार्यान्वयन, मजबूत जवाबदेही तंत्र, और सामुदायिक भागीदारी जरूरी है। एक समावेशी और टिकाऊ विकास हासिल करने के लिए लैंगिक बजटिंग को नीतिगत ढांचे में पूरी तरह से एकीकृत करने की आवश्यकता है। यह सभी हितधारकों – सरकार, नागरिक समाज, और समुदायों – के सामूहिक प्रयास से ही संभव है। आइए एक ऐसे भारत की ओर बढ़ें जहां लैंगिक समानता वास्तविकता बन जाए और हर किसी को समान अवसर और विकास के मार्ग पर चलने का अधिकार हो।

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