RBI to Expand UPI Services to 20 Countries by 2028-29; RBI 2028-29 तक 20 देशों में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) सेवाओं का विस्तार करेगा:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2023-24 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के विस्तार की दिशा में आगे बढ़ने का एजेंडा निर्धारित किया है। इसके लिए वह नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की सहायक कंपनी NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) के साथ मिलकर कार्य करेगा। इस कदम से भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलेगी और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

इसके अतिरिक्त, RBI ने यूरोपीय संघ और SAARC जैसे संगठनों के साथ फास्ट पेमेंट सिस्टम में सहयोग और बहुपक्षीय लिंकेज की संभावनाओं का भी लक्ष्य निर्धारित किया है।

UPI के बारे में जानकारी:

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 2016 में लॉन्च किया था। यह एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन में जोड़ती है। UPI के माध्यम से उपयोगकर्ता आसानी से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, बिल का भुगतान कर सकते हैं, और मर्चेंट पेमेंट जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। यह प्रणाली उपयोगकर्ताओं को 24/7 बैंकिंग सुविधा प्रदान करती है, जिससे उनके दैनिक लेन-देन में आसानी होती है।

वर्तमान में UPI का अंतर्राष्ट्रीय उपयोग:

वर्तमान में भूटान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, मॉरीशस जैसे कई देशों में कुछ प्रकार के लेन-देन में UPI के उपयोग की अनुमति है। इससे भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों को विदेशों में भी आसानी से भुगतान करने की सुविधा मिलती है।

UPI के अंतर्राष्ट्रीयकरण का महत्त्व:

  1. विश्व के बाजारों में विस्तार: तेज और आसान सीमा-पार भुगतान सेवा भारत एवं अन्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दे सकती है। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  2. अंतर-संचालनीयता और मानकीकरण: UPI को व्यापक स्तर पर अपनाने से विविध देशों में भुगतान प्रणालियों के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा मिल सकता है। इससे दुनिया भर की वित्तीय प्रौद्योगिकियों के साथ आसानी से एकीकरण सुनिश्चित हो सकता है।
  3. डिजिटल डिप्लोमेसी: तकनीकी सहयोग के माध्यम से विश्व में भारत के प्रभाव और छवि को मजबूती मिलेगी। यह भारत के डिजिटल नेतृत्व को भी प्रदर्शित करेगा।

UPI के अंतर्राष्ट्रीयकरण में चुनौतियां:

  1. अलग-अलग देशों के नियमों का पालन करना: अलग-अलग देशों के विनियामक कानूनों या फ्रेमवर्क का पालन करना जटिल और समय लेने वाला कार्य है। यह प्रक्रिया विभिन्न देशों की नियमावली और विनियमनों के अनुसार बदलती रहती है।
  2. सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी: UPI का इस्तेमाल करने वालों का विश्वास बनाए रखने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय, एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल और डेटा सुरक्षा तंत्र की आवश्यकता है। इसके बिना अंतर्राष्ट्रीय उपयोगकर्ता इस प्रणाली पर भरोसा नहीं कर पाएंगे।
  3. अन्य चुनौतियां: सभी जगह भुगतान अवसंरचना एक जैसी नहीं है। इसके अलावा, चीन की Alipay और WeChat Pay जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करना आसान नहीं है। इन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहले से ही मजबूत पकड़ है।

UPI के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए किए गए उपाय:

  1. NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL): यह भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। इसे भारत के बाहर RuPay और UPI के परिचालन के लिए 2020 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय भुगतान प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करना है।
  2. UPI वन वर्ल्ड: यह G20 देशों से आने वाले विदेशी नागरिकों/ NRIs को UPI से जुड़ी प्रीपेड भुगतान सुविधा है। इससे विदेशी नागरिक और NRI आसानी से भारत में UPI का उपयोग कर सकते हैं।

G-20 के तहत भारत की पहलें:

    • ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) रिपॉजिटरी: यह एक वैश्विक पहल है जिसे G20 के तहत लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों में डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है।
    • सोशल इम्पैक्ट फंड: ग्लोबल साउथ में DPI को बढ़ावा देने के लिए यह फंड गठित किया गया है। इससे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा और विकासशील देशों को लाभ मिलेगा।

    निष्कर्ष:

    UPI, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की पेमेंट लेयर का एक अभिन्न अंग है। भारतीय रिजर्व बैंक और NPCI के ये प्रयास निश्चित रूप से भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार करेंगे। UPI का अंतर्राष्ट्रीयकरण न केवल भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली को मजबूती देगा, बल्कि इसे एक वैश्विक मानक के रूप में स्थापित करेगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिलेगी।

    FAQs:

    RBI UPI के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार पर क्यों ध्यान दे रहा है?

    RBI का उद्देश्य भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम की वैश्विक पहुंच को बढ़ाना, सीमा-पार व्यापार को बढ़ावा देना और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।

    UPI क्या है?

    UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम है जिसे NPCI द्वारा विकसित किया गया है, जो मोबाइल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बैंक खातों के बीच तत्काल धन हस्तांतरण सक्षम बनाता है।

    वर्तमान में कौन से देश UPI का उपयोग करते हैं?

    वर्तमान में भूटान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस और मॉरीशस जैसे देशों में कुछ प्रकार के लेन-देन के लिए UPI का उपयोग किया जाता है।

    UPI के अंतर्राष्ट्रीयकरण से क्या लाभ हैं?

    यह तेज और आसान सीमा-पार भुगतान को सक्षम बनाता है, व्यापार को बढ़ावा देता है, विभिन्न भुगतान प्रणालियों के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देता है और भारत की डिजिटल कूटनीति को मजबूत करता है।

    UPI के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार में कौन सी चुनौतियाँ हैं?

    मुख्य चुनौतियों में विभिन्न नियामक ढांचों का पालन करना, मजबूत सुरक्षा और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करना और Alipay और WeChat Pay जैसी स्थापित अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शामिल है।

    UPI के विस्तार के लिए G-20 के तहत भारत ने कौन से पहल किए हैं?

    भारत ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) रिपॉजिटरी लॉन्च की है और ग्लोबल साउथ में DPI को बढ़ावा देने के लिए सोशल इम्पैक्ट फंड स्थापित किया है, जिससे UPI को एक महत्वपूर्ण डिजिटल भुगतान अवसंरचना के रूप में स्थापित किया जा सके।

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